अभी तक तो मोहब्बत है,इसीलिए फर्क पड़ता है,
वक्त ने चाहा, तो तुमसे नफरत करना भी छोड़ दुंगा…!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अभी तक तो मोहब्बत है,इसीलिए फर्क पड़ता है,
वक्त ने चाहा, तो तुमसे नफरत करना भी छोड़ दुंगा…!
बदन की क़ैद से बाहर, ठिकाना चाहता है;
अजीब दिल है, कहीं और जाना चाहता है!
वो कहते हैँ हम उनकी झूठी तारीफ करते हैँ…
ए खुदा..
बस एक दिन.. आईने को जुबान दे दे..
कभी खत्म न होने वाली तलाश लगती है
ये जिंदगी मुझे सीता का बनवास लगती है|
चराग़ ही ने उजालों की परवरिश की है
चराग़ ही से उजाले सुबूत मांगते हैं
हम अहले दिल से हमारी वतनपरस्ती का
वतन को बेचने वाले सुबूत मांगते हैं…
जो देखता हूँ वो बोलने का आदि हूँ
मैं इस शहर का सबसे बड़ा फसादी हूँ…
सुबह तक मैं सोचता हूँ शाम से
जी रहा है कौन मेरे नाम से |
यूं खुले बाल लेकर छत पर तेरा रात को जाना
चांदनी रातो में जेसे मैखाने खुले रख दिए हो|
उसकी मुहब्बत का सिलसिला भी क्या अजीब है,
अपना भी नहीं बनाती और किसी का होने भी नहीं देती….!!
तेज़ रफ़्तार हुआ है, ज़माना इतना के..
लोग मर जाते है, जीने का हुनर आने तक |