अपनी कश्ती पर

कभी डूबे हुओं को हमने
बिठाया था अपनी कश्ती पर
आज फिर हम को ही बोझ कहकर कश्ती से
उतारा गया.!!

ना छेड़ किस्सा

ना छेड़ किस्सा वोह उल्फत का बड़ी लम्बी कहानी है
मैं जिन्दगी से नहीं हारा किसी अपने की मेहरबानी है

उसी का इंतजार

किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है?
जो नहीं मिल सकता उसी से मुहब्बत क्यों है?
कितने खायें है धोखे इन राहों में!
फिर भी दिल को उसी का इंतजार क्यों है?

ख्याल दिल से

जब कोई ख्याल दिल से टकराता है!
दिल न चाह कर भी, खामोश रह जाता है!
कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है!
कोई कुछ न कहकर भी, सब बोल जाता है!