तेरा ज़िक्र..तेरी फिक्र ..तेरा एहसास…तेरा ख्याल..!!!
तू खुदा नहीं ….फिर हर जगह मौज़ूद क्यूँ है…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरा ज़िक्र..तेरी फिक्र ..तेरा एहसास…तेरा ख्याल..!!!
तू खुदा नहीं ….फिर हर जगह मौज़ूद क्यूँ है…!!
वो शहंशाह है, मगर फकीरी मिजाज़ रखता है!
काशा हाथ में लेकर, ठोकर पे ताज रखता है!
उर्स-ए-गरीब नवाज़ मुबारक हो!
अगर शक है मेरी मोहब्बत पे तो दो चार गवाह बुला
लो, हम आज, अभी, सबके सामने, ये जिन्दगी तेरे
नाम करते है !!
कल किसी और ने खरीद लिया
तो शिकायत न करना,
इसलिए आज हम सबसे पहले
तेरे शहर मे बिकने आये है|
तफसीले छोड़ो…बस इतना सुनो…….
तुम बिछड़ गए…हम बिखर गए..!!
नज़र झुका के जब भी वो गुजरे हैं करीब से..
हम ने समझ लिया कि आदाब अर्ज़ हो गया ..
सदाबहार हैं ख्वाब तुम्हारे ,
न कोई पतझड़ , न कोई बसंत इनका….
बदलते इंसानों की बातें हमसे न पूँछो यारों,
हमने हमदर्द को भी हमारा दर्द बनते देखा है!
बर्बाद-ए-मोहब्बत की दुआ साथ लिए जा….
टूटा हुआ इक़रार-ए-वफ़ा साथ लिए जा…
कुछ दर्द के मारे हैं कुछ नाज़ के हैं पाले….
कुछ लोग हैं हम जैसे कुछ लोग हैं तुम जैसे….