न जाने इस जिद का नतीजा क्या होगा,
समझता दिल भी नहीं
मै भी नहीं और तुम भी नही.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
न जाने इस जिद का नतीजा क्या होगा,
समझता दिल भी नहीं
मै भी नहीं और तुम भी नही.
कौन कहता है आईना झूठ नहीं बोलता… वह
सिर्फ होठो की मुस्कान देखता है… दिल का दर्द नहीं…!!
करेगा जमाना कदर हमारी भी एक दिन देख लेना…
बस जरा ये भलाई की बुरी आदत छुट जाने दो.
किसी के लिये कितना भी कूछ कर लो
आपकी एक छोटी सी गलती पर वो आपक छोड़ देगा |
तेरी नज़र पे भी मुकदमा हो
तेरी नज़र तो क़त्लेआम करे…
छोड़ दो किसी से वफा की आस…..
ऐ दोस्त
जो रूला सकता हैं_, वो भुला भी सकता हैं_!!
आओ गले मिल कर ये देखें
अब हम में कितनी दूरी है
मै हूं अश्क तुम्हारी आंखों का , जब जी चाहे बहा देना
इक लफ्ज हूं तुम्हारी कहानी का , ना याद रख सको तो भुला देना..!!
जिनके दिल पे लगती है चोट
वो आँखों से नही रोते.
जो अपनो के ना हुए, किसी के नही होते,
मेरे हालातों ने मुझे ये सिखाया है,
की सपने टूट जाते हैं
पर पूरे नही होते.
क्या किस्मत पाई है रोटीयो ने भी निवाला बनकर,
रहिसो ने आधी फेंक दी, गरीब ने आधी में जिंदगी गुज़ार दी!!