सुना है आज

सुना है आज उस की आँखों मे आसु आ गये……

वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है !!

मुझसे मत पूछा कर

मुझसे मत पूछा कर ठिकाना मेरा,
तुझ में ही लापता हूँ कहीं….
अब भी चले आते हैं ख्यालों में वो,
रोज लगती है हाजरी उस गैर हाजिर की..

खेल रहा हूँ

खेल रहा हूँ इसी उम्मीद पे मुहब्बत की बाजी.!
कि एक दिन जीत लूँगा उन्हें, सब कुछ हार के अपना..!