तेरा ऐ दिल

माफी चाहता हूँ गुनेहगार हूँ तेरा ऐ दिल,
तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी कदर नहीं

यह समझ पाओ

किसी मासूम बच्चे की तबस्सुम मेँ उतर जाओ,
तो शायद यह समझ पाओ खुदा ऐसा भी होता है…

Aaja Kareeb Itna

aaja kareeb itna ki meri saanso ko mehka
de…
barso se tarsi hui in baahon ko saza de…
hai ishq ki farmaish na rok apne kadmo ko…
tere jism ki khusboo ko meri rooh m bsa de…
ye garam teri saanse takrane de meri saanso
se…
aa pas mere itna ki har doori ko mita de……..

ऐ दिल मुझसे

ऐ दिल मुझसे बहस ना कर अब चुप भी हो जा,,
उसके बिना साल गुजर गया दिसंबर और गुज़र जाने दे

किसी ना किसी

सीखा जाता है हर हुनर, किसी ना किसी उस्ताद से,
मगर जिंदगी के सबक जमाने की ठोकरें देती हैं।