अक्सर वही रिश्ते टूट जाते हैं….
जिसे सम्भालनें की अकेले कोशिश की जाती है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अक्सर वही रिश्ते टूट जाते हैं….
जिसे सम्भालनें की अकेले कोशिश की जाती है…
टपकती है निगाहों से, बरसती है अदाओं से,
कौन कहता है मोहब्बत पहचानी नहीं जाती|
क़ैद ख़ानें हैं , बिन सलाख़ों के…कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के…
तुझ से दूर रहकर मोहब्बत बढती जा रही है,क्या कहूँ, केसे कहूँ, ये दुरी तुझे और करीब ला रही है..
तुझे अपनी खूबसूरती पर इतना गुरूर क्यों है
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लगता है तेरा आधार कार्ड अभी तक बना नही
सख़्त हाथों से भी छूट जाते हैं हाथ…. रिश्ते ज़ोर से नहीं तमीज़ से थामे जाते हैं ।
क्या करना करेडों का, जब अरबो का बापू साथ है ।
पापा आपके नाम से ही जाना जाता हूँ
इस तरह से कोई शायरी है कृपया भेजें|
आवाज़ बर्तनों की घर में दबी रहे,
बाहर जो सुनने वाले हैं, शैतान हैं बहुत….
आए थे मीर ख़्वाब में कल डांट कर गए,
क्या शायरी के नाम पर कुछ भी नहीं रहा….