मैं अगर नशे में लिखने लगूं,,,
खुदा कसम होश आ जाये तुम्हे…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मैं अगर नशे में लिखने लगूं,,,
खुदा कसम होश आ जाये तुम्हे…
बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का,
अधूरी हो सकती है मगर ख़तम नहीं…
मेरे यार मुझ को लूट के लौटे हैं अभी,,,
मेरे दुश्मन तूने इस बार भी देर कर दी…
मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर हर तरफ़ हैं,
मगर हर शख़्स तन्हा जा रहा है…
बैठ जाता हूँ अब खुले आसमान के नीचे तारो की छाँव मे,,,
अब शौक नही रहा महफिलो मे रंग जमाने का…
आज उसने अपने हाथ से पिलायी है यारो,
लगता है आज नशा भी नशे मे है…
ये सुनकर मेरी नींदें उड़ गयी,
कोई मेरा भी सपना देखता है…
इस तरह सुलगती तमन्नाओं को बुझाया मैं ने,
करके रोशन यार की महफ़िल अपना घर जलाया मैंने…
इतना काफी है के तुझे जी रहे हैं,
ज़िन्दगी इससे ज़्यादा मेरे मुंह न लगाकर…!!
इस सलीक़े से मुझे क़त्ल किया है उसने,
अब भी दुनिया ये समझती है की ज़िंदा हूँ मैं….!!