मुझे मालूम है.. कि ऐसा कभी.. मुमकिन ही नही !
फिर भी हसरत रहती है कि.. ‘तुम कभी याद करो’ !!
Tag: प्यारी शायरी
अनदेखे धागों में
अनदेखे धागों में, यूं बाँध गया कोई
की वो साथ भी नहीं, और हम आज़ाद भी नहीं.
तुझे ही फुरसत ना थी
तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की,
मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों की तरह..
हमारी शायरी पढ़ कर
हमारी शायरी पढ़ कर बस इतना सा बोले वो ,
कलम छीन लो इनसे .. ये लफ्ज़ दिल चीर देते है ..
मंजिल पर पहुंचकर
मंजिल पर पहुंचकर लिखूंगा मैं इन रास्तों की मुश्किलों का जिक्र,
अभी तो बस आगे बढ़ने से ही फुरसत नही..
वो रोई तो जरूर
वो रोई तो जरूर होगी खाली कागज़ देखकर,
ज़िन्दगी कैसी बीत रही है पूछा था उसने ख़त में..
तलाशी लेकर मेरे हाथों की
तलाशी लेकर मेरे हाथों की क्या पा लोगे तुम बोलो,
बस चंद लकीरों में छिपे अधूरे से कुछ किस्से हैं..
बता किस कोने में
बता किस कोने में, सुखाऊँ तेरी यादें,
बरसात बाहर भी है, और भीतर भी है..
तू भी तो आइने की तरह
तू भी तो आइने की तरह बेवफा निकला,
जो सामने आया उसी का हो गया..
तेरा नाम न लूँ
हाथ उठाऊ और तेरा नाम न लूँ कैसे मुमकिन है•••
…
तू मेरी दुआओं में शामिल है |