ज़ख़्म दे कर

ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो, दर्द की शिद्दत,
दर्द तो दर्द होता हैं, थोड़ा क्या, ज्यादा क्या !!

अब हर कोई

अब हर कोई हमें आपका आशिक़ कह के बुलाता है
इश्क़ नहीं न सही मुझे मेरा वजूद तो वापिस कीजिए ।

महसूस कर रहें हैं

महसूस कर रहें हैं तेरी लापरवाहियाँ कुछ दिनों से…
याद रखना अगर हम बदल गये तो,
मनाना तेरे बस की बात ना होगी !!

वो धागा ही था

वो धागा ही था जिसने छिपकर पूरा जीवन मोतियों को दे दिया…
और ये मोती अपनी तारीफ पर इतराते रहे उम्र भर…।