रोज़ करता हूँ

रोज़ करता हूँ इरादा ऐ मेरे मौला तुझको भूल जाने का,
रोज़ थोड़ा-थोड़ा खुद को भूलने लगा हूँ अब।

छोड़ दिया है

छोड़ दिया है हमने..तेरे ख्यालों में जीना,
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अब हम लोगों से नहीं..लोग हमसे इश्क करते हैं |

आज तो हम

आज तो हम खूब रुलायेंगे उन्हें,
सुना है उसे रोते हुए लिपट जाने की आदत है!