कभी जो लिखना चाहा तेरा नाम अपने नाम के साथ
अपना नाम ही लिख पाये और स्याही बिखर गई…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कभी जो लिखना चाहा तेरा नाम अपने नाम के साथ
अपना नाम ही लिख पाये और स्याही बिखर गई…..
बड़ा अजीब सा जहर था, उसकी यादों का,
सारी उम्र गुजर गयी, मरते – मरते…….
ये जिंदगी तेरे साथ हो …
ये आरजू दिन रात हो ….
मैं तेरे संग संग चलूँ …
तू हर सफर में मेरे साथ हो …..
आज नही तो कल ये एहसास हो ही
जायेगा….!!..
कि “नसीब वालो” को ही मिलते है फिकर
करने वाले”
मुझे किसीसे नहीं अपने आप से है गिला,
मैंने क्यूँ तेरी चाहत को जिन्दगी समझा|
इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए,
कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए,
आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था,
आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए!
इश्क का समंदर भी क्या समंदर है, जो डूब गया वो आशिक जो बच गया वो दीवाना…!!
मुझे सिर्फ वक्त गुजारने के लिए ना चाहा कर..ए जिंदगी
मैं भी इन्सान हूँ और मुझे भी तकलीफ होती है|
लाख समझाया उसको की दुनिया शक करती है….
मगर उसकी आदत नहीं गयी मुस्कुरा कर गुजरने की.
मुझको ही अपने पास लौटना पड़ा
तुम मेरे इंतजार से आगे बढ़ गए|