करेगा जमाना कदर हमारी भी एक दिन देख लेना…
बस जरा ये भलाई की बुरी आदत छुट जाने दो.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
करेगा जमाना कदर हमारी भी एक दिन देख लेना…
बस जरा ये भलाई की बुरी आदत छुट जाने दो.
तेरी नज़र पे भी मुकदमा हो
तेरी नज़र तो क़त्लेआम करे…
छोड़ दो किसी से वफा की आस…..
ऐ दोस्त
जो रूला सकता हैं वो भुला भी सकता हैं_!!
जिनके दिल पे लगती है चोट
वो आँखों से नही रोते.
जो अपनो के ना हुए, किसी के नही होते,
मेरे हालातों ने मुझे ये सिखाया है,
की सपने टूट जाते हैं
पर पूरे नही होते|
काश ये दिल शीशे का होता..
कम से कम तोड़ने वाले के
हाथ मे ज़ख़्म तो होता |
दिल से ज़्यादा महफूज़ जगह नहीं दुनिया में
पर सबसे ज़्यादा लापता लोग यहीं से होते हैं|
देखते है हम दोनों जुदा कैसे हो पायेंगे…,
तुम मुकद्दर का लिखा मानते हो…,
हम दुआ को आजमायेंगे…!!!
बहुत दिनों से इन आँखों को यही समझा रहा हूँ मैं
ये दुनिया है यहाँ तो इक तमाशा रोज़ होता है|
उनकी गहरी नींद का मंज़र भी
कितना हसीन होता होगा..
तकिया कहीं.. ज़ुल्फ़ें कहीं..
और वो खुद कहीं…!!
दर्द बयां करना है तो शायरी से कीजिये जनाब…..
लोगों के पास वक़्त कहाँ एहसासों को सुनने का….