तुम मुझे हंसी हंसी में खो तो दोगे,
पर याद रखना… आंसुओं में ढ़ूंढ़ोगे…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुम मुझे हंसी हंसी में खो तो दोगे,
पर याद रखना… आंसुओं में ढ़ूंढ़ोगे…
है नया कुछ भी नहीं क्यूं इस क़दर हैरां हुए,
साथ चलने को तुम्हारे,अय मियाँ कोई नहीं
अर्थ लापता हैं या फिर शायद शब्द खो गए हैं,
रह जाती है मेरी हर बात क्यूँ इरशाद होते होते….
तुम आसमाँ की बुलंदी से जल्द लौट आना
हमें ज़मीं के मसाइल पे बात करनी है..!
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला…!
गलियों की उदासी पूछती है, घर का सन्नाटा कहता है..
इस शहर का हर रहने वाला क्यूँ दूसरे शहर में रहता है..!
जिनसे अक्सर रूठ जाते हैं हम
असल में उन्ही से रिश्ते गहरे होते हैं…
गलियों की उदासी पूछती है, घर का सन्नाटा कहता है…
इस शहर का हर रहने वाला क्यूँ दूसरे शहर में रहता है..!
हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं..
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे..
वो तो बस झूठी
तसल्ली को कहा था तुम से
हम तो अपने भी नहीं, ख़ाक तुम्हारे होते