तुम भी सच का सामना कर लो,
बैठो सुकून से सामने अपने आईना कर लो!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुम भी सच का सामना कर लो,
बैठो सुकून से सामने अपने आईना कर लो!
बड़े प्यारे होते है न ऐसे रिश्ते ……
.जिन पर कोई हक़ भी न हो और शक भी न हो।
कांटो से बच बच के चलता रहा उम्र भर..
क्या खबर थी की..
चोट एक फूल से लग जायेगी|
ज्यादा कुछ नहीं बदलता
उम्र बढने के साथ…
बचपन कि जिद
समझोतों में बदल जाती है..!!
मेरे मिज़ाज को समझने के लिए,
बस इतना ही काफी है,
मैं उसका हरगिज़ नहीं होता…..
जो हर एक का हो जाये।
अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उंगलिया, जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती।
वो महफिल में नही खुलता है
तन्हाई में खुलता है
समंदर कितना गहरा है
ये गहराई में खुलता है !!
नश्तरों सा सलूक ना कीजिये हमसे
मैंने हमेशा आपको गुलाब लिक्खा है !!
उड़ा भी दो रंजिशें, इन हवाओं में यारो
छोटी सी जिंदगी हे, नफ़रत कब तक करोगे !
तेरे शहर के कारीगर भी अजीब हैं ऐ दिल….
काँच की मरम्मत करते हैं , पत्थर के औजारों से..