उसकी जब मर्जी होती है वो हम से बात करती हैं.
पर हमारा पागलपन तो देखो
हम फिर भी पूरा दिन उसकी
मर्जी का इंतजार करते हैं|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उसकी जब मर्जी होती है वो हम से बात करती हैं.
पर हमारा पागलपन तो देखो
हम फिर भी पूरा दिन उसकी
मर्जी का इंतजार करते हैं|
हम तो नरम पत्तों की शाख हुआ करते थे….
छीले इतना गए की खंजर हो गए….
उनसे कह दो अपनी मसरूफ़ियत ज़रा कम कर दे,
सुना है बिछड़ने की ये पहली निशानी है!
शतरंज खेल रही है जिंदगी कुछ इस कदर,
कभी तेरा इश्क़ मात देता है कभी मेरे लफ्ज़|
कुछ ऐसे खो जाते है तेरे दीदार में
जैसे बच्चे खो जाते है भरे बाज़ार में|
एक जैसी ही दिखती थी
माचिस की वो तीलियाँ..
कुछ ने दिये जलाये..
और कुछ ने घर..!
डरते हैं उस पंछी के आशियाँ के उजड़ने से
हम भी उजड़े थे…
किसी तूफान में.. यूँ ही..
उस रात से हम ने सोना ही छोड़ दिया
‘यारो’
जिस रात उस ने कहा कि
सुबह आंख खुलते ही हमे भूल जाना..
दिल गवारा नहीं करता है शिकस्त-ए-उम्मीद
हर तग़ाफ़ुल पे नवाज़िश का गुमाँ होता है |
किसी के पास टुटा हुआ दिल है क्या..
आधा मेरे वाला जोड़के एक नया दिल बनाना था… !!