जमाना कल भी खराब था

जमाना कल भी खराब था और आज भी है द्रोपदी का चिरहरण करने वाले को भूल गए लोग पर

जिसने सीता को हाथ तक भी नही लगाया वो आज तक जल रहा है ………..

यादों में ना ढूँढो

यादों में ना ढूँढो हमें
मन में हम बस जायेंगे तमन्ना हो अगर मिलने की ..
तो, हाथ रखो सीनें पर..
हम धड़कनों में ही..
मिल जायेंगे…

सिसकियों कि भी

सिसकियों कि भी अपनी दास्तां हैं,
न गए हुए को वापिस पाती हैं,
न जो रह गए अपने उनको चैन से जीने देती है।