हवा चुरा ले

हवा चुरा ले गयी थी मेरी ग़ज़लों की
किताब..
देखो,
आसमां पढ़ के रो रहा है.
और
नासमझ ज़माना खुश है कि बारिश हो
रही है..!

गाँव की गलियाँ

गाँव की गलियाँ भी अब सहमी-सहमी रहती होंगी ,
की जिन्हें भी पक्की सड़कों तक पहुँचाया वो मुड़के नहीं आये..!!

हो ना जाए

हो ना जाए हुस्न की शान में गुस्ताख़ी कहीं
मेरी जान तुम चले जाओ तुम्हे देखके प्यार आता है