जो जरा किसी ने छेड़ा तो छलक पड़ेंगे आँसू..
कोई मुझसे ये ना पूछें मेरा दिल उदास क्यूँ है..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जो जरा किसी ने छेड़ा तो छलक पड़ेंगे आँसू..
कोई मुझसे ये ना पूछें मेरा दिल उदास क्यूँ है..
हर शख्श नहीं होता अपने चेहरे की तरह,
हर इंसान की हकिकत उसके लहजे बताते है..
रखा करो नजदीकियां, ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं. . . .
फिर मत कहना चले भी गए… और बताया भी नहीं. . . !
खतों से मीलों सफर करते थे जज़्बात कभी,
अब घंटों बातें करके भी दिल नहीं मिलते…!
तेरे शहर में आने को हर कोई तरसता है
लेकिन वो क्या जाने
वहां कोई नही पहुँचता है
जो पहुँचता है
वो तुझसा ही होकर
कोई खुद सा वहां कब पहुँचता है
ये तो कुछ शब्दों का भ्रम जाल है इन मंदिर में रखी किताबो का
जो हर कोई तुझसे मिलने को तरसता है
खुल जाए अगर भ्रम काबा-ए-काशी
तो कौन फिर जान कर सूली पे चढ़ता है
वो जो शराब है तेरी
जिसे कहते मोहब्बत
पीने के बाद ही पतंगा
शमा पे मरता है
यूँ ही कोई क़ैस कहा लैला पे मरता है
जान कर
कोई कहाँ
सूली पे चढ़ता है ….
उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं,
इश्क़ ही इश्क़ की कीमत हो ज़रूरी तो नहीं।
आजकल के हर आशिक की अब तो यही कहानी है, मजनू चाहता है लैला को, लैला किसी और की दीवानी है..
कहाँ तलाश करोगे तुम दिल हम जैसा..,
जो तुम्हारी बेरुखी भी सहे और प्यार भी करे…!!
दर्द लफ़्ज़ों में बयाँ होकर भी दर्द ही रहता है,
और प्यार ख़ामोश रहकर भी मुस्कुराता है..
ऐसा नहीं कि शख्स अच्छा नहीं था वो,
जैसा मेरे ख्याल में था, बस वैसा नहीं था वो….