कभी इनका हुआ हूँ मैं… कभी उनका हुआ हूँ मैं… खुद के लिए कोशिश नहीं की… मगर सबका हुआ हूँ मैं… मेरी हस्ती बहुत छोटी… मेरा रुतबा नहीं कुछ भी… लेकिन डूबते के लिए… सदा तिनका हुआ हूँ मै…
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नीचे गिरे सूखे पत्तों पर अदब से
“नीचे गिरे सूखे पत्तों पर
अदब से ही चलना ज़रा
कभी कड़ी धूप में तुमने
इनसे ही पनाह माँगी थी।”
मैं थक गया था …
मैं थक गया था …
परवाह करते करते,
जब से ला-परवाह हुआ हूँ
आराम सा है..!!!
अपनी सूरत से जो जाहिर है
अपनी सूरत से जो जाहिर है छुपाये कैसे
तेरी मर्जी के मुताबिक नज़र आये कैसे
शक तो था मोहब्बत में
शक तो था मोहब्बत में नुक़सान होगा ।। ..
पर सारा हमारा ही होगा ये मालूम न था!!
बहुत कुछ खो चूका हूँ
बहुत कुछ खो चूका हूँ,
ऐ ज़िन्दगी तुझे सवारने की
कोशीश में,
अब बस ये जो कुछ लोग मेरे हैं,
इन्हें मेरा ही रहने दे….
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं अपना शहर छोड़ने को,
वरना कौन अपनी गली मे
जीना नहीं चाहता…..
हसरतें आज भी खत लिखती हैं मुझे,
पर मैं अब पुराने पते पर नहीं रहता ।।
उंगलिया आज भी इस सोच में गुम है
उंगलिया आज भी इस सोच में गुम है , उसने कैसे नए हाथ को थामा होगा.
सच कहा था किसी ने
सच कहा था किसी ने तन्हाई में जीना सीख लो ;मोहब्बत जितनी भी सच्ची हो साथ छोड़ ही जाती है.
उसकी दर्द भरी आँखों ने
उसकी दर्द भरी आँखों ने, जिस जगह कहा था अलविदा,आज भी वही खड़ा है दिल, उसके आने के इंतज़ार में.