जब भी हम किसी को कहने अपने गम गए ।
होठों तक आते आते, अल्फाज जम गए ।
Tag: प्यार शायरी
जुल्म के सारे
जुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाये गये…
जुल्म भी सहा हमने और जालिम भी कहलाये गये !!
मेरे दुश्मन कहते हे
मेरे दुश्मन कहते हे…..तेरे पास ऐसा क्या हे जिससे
तेरे नाम का चर्चा है…
मेने भी कह दिया की भाई दिल नरम और दिमाग गरम
है….
आसमाँ भर गया
आसमाँ भर गया परिंदो से,
पेड़ कोई हरा गिरा होंगा..!!!
फरेबी भी हूँ
फरेबी भी हूँ ज़िद्दी भी हूँ और पत्थर दिल भी हूँ…..!!!!
मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते-करते……!!!!!
हल्की-फुल्की सी है
हल्की-फुल्की सी है जिंदगी…
बोझ तो ख्वाहिशों का है…
ईश्क की गहराईयों मे
ईश्क की गहराईयों मे मौजूद क्या है…
बस मैं हूँ,तुम हों,और कुछ की जरूरत क्या है…
कभी बेवजह भी
कभी बेवजह भी कुछ ना कुछ खरीद लिया करो दोस्तों.. ये वो खुद्दार लोग है जो भिख नही मांगते
हम इश्क के
हम इश्क के मारो का इतना सा फसाना है
संग रोने को कोई नही हमपे हसने को जमाना है
जो मांगू वो दे दिया
जो मांगू वो दे दिया कर…ऐ ज़िन्दग़ी …!!
तू बस…मेरी माँ की तरह बन जा…