वाह रे दोगले समाज

वाह रे दोगले समाज क्या तेरी सोच हैं…

पैसे वाले की बेटी..

रात के आठ बजे कही जाए..
तो “चलन” है…!

गरीब की बेटी…

अगर उसी वक्त पर डयूटी से आए..
तो “बदचलन” है..!!

ख्वाब जो सलीके से

ख्वाब जो सलीके से तह कर रखे थे,

मैने दिल की आलमारी में उनमे सिलवटें पड़ने लगी हैं,

शायद इसलिये क्यूंकि इन पर

पापा के डाँट की इस्त्री नहीं चलती अब…!!!