ये गंदगी तो महल वालो ने फैलाई है साहिब…
वरना गरीब तो सङको से थैलीयाँ तक उठा लेते है….!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ये गंदगी तो महल वालो ने फैलाई है साहिब…
वरना गरीब तो सङको से थैलीयाँ तक उठा लेते है….!!!
“जीत” किसके लिए,
‘हार’ किसके लिए,
‘ज़िंदगी भर’ ये ‘तकरार’ किसके लिए..
जो भी ‘आया’ है वो ‘जायेगा’ एक दिन यहाँ से ,
फिर ये इंसान को इतना “अहंकार” किसके लिए..
सिखा दिया हैं जहां ने , हर जख्म पे हसना ……
.
ले देख जिन्दगी , अब तुझसे नही डरता …..!!
खोए हुए हम खुद हैं,
और ढूंढते #भगवान को हैं |
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!
वक़्त ने कहा…..काश थोड़ा और सब्र होता!!!
सब्र ने कहा….काश थोड़ा और वक़्त होता!!!
सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब…।।
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।।
शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता
मंजिल पाना तो बहुत दूर की बात है..
गुरुर में रहोगे तो रास्ते भी न देख पाओगे…
सच तो कह दु इस दोर के इंसानो को मगर,
बात जो दिल से निकली है बुरी लगती है…