अभी तो तड़प

अभी तो तड़प-तड़प के

दिन के उजालों से निकला हू…
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न जाने रात के अँधेरे और कितना रुलायेंगे.

तुम जरा हाथ

तुम जरा हाथ मेरा थाम के देखो तो सही लोग
जल जाएंगे महफ़िल में चिरोगों की तरह

फ़ुटपाथ पर सोने

फ़ुटपाथ पर सोने वाले हैरान हैं आती-जाती गाड़ियों से…
कम्बख़्त जिनके पास घर हैं…वो घर क्यूँ नहीं जाते…

लाख रख दो

लाख रख दो रिश्तों की दुनिया तराजु पर…
सारे रिश्तों का वज़न बस आधा निकलेगा…
सब की चाहत एक तरफ़ हो जाए फिर भी…
माँ का प्यार नौ महीने ज्यादा निकलेगा…

रोड किनारे चाय

रोड किनारे चाय वाले ने हाथ में गिलास थमाते हुए पूछा……

“चाय के साथ क्या लोगे साहब”?

ज़ुबाँ पे लव्ज़ आते आते रह गए

“पुराने यार मिलेंगे क्या”?