वो रोये तो

वो रोये तो बहुत, पर मुझसे मुंह मोड़कर रोये….
कोई मजबूरी रही होगी, तभी मेरा दिल तोड़कर रोये।
मेरे सामने कर दिए मेरी तस्वीर के कई टुकड़े….
पता चला मेरे पीछे से उन टुकड़ों को वो जोड़कर रोये।

तेरे नाम की

ऐसा नहीं, कि दिल में, तेरी तस्वीर नहीं थी….
पर हाथो में, तेरे नाम की, लकीर नहीं थी….

मेरे नगमों मे

मेरे नगमों मे जो बसती है वो तस्वीर थी वो
नौजवानी के हसीन ख्वाब की ताबीर थी वो
आसमानों से उतर आई थी जो रात की रात
जिंदगी भर नहीं भूलेगी वो बरसात की रात