कह दो अंधेरों से कही
और घर बना लें,
मेरे मुल्क में रौशनी का सैलाब आया है.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कह दो अंधेरों से कही
और घर बना लें,
मेरे मुल्क में रौशनी का सैलाब आया है.
जरूरतें भी जरूरी हैं जीने के लिये …..लेकिन …
तुझसे जरूरी तो जिंदगी भी नही……..
आज दिल में एक अजीब सा दर्द है मेरे मौला ।
ये तेरी दुनिया है! तो यहाँ इंसानियत क्यों मरी है।
एक उसूल पर गुजारी है जिंदगी मैंनें,
जिसको अपना माना उसे कभी परखा नही..
ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है ना,
पढ़ना कभी ध्यान से, चीखते कमाल के हैं..
त्यौहार के बहाने ही सही…
रिश्ते घर तो लौट आते है..
जो प्यासे हो तो अपने साथ रक्खो अपने बादल भी
ये दुनिया है विरासत में कुआँ कोई नहीं देगा
इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ
मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है
उम्र की ढलान में “इश्क़” होना कोई अचरज की बात नही
ं गेंद जब पुरानी हो जाती है तब “रिवर्स स्विंग” लेती है…।
कैसी भी हो एक
बहन होनी चाहिये……….।
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बड़ी हो तो माँ- बाप से बचाने वाली.
छोटी हो तो हमारे पीठ पिछे छुपने वाली……….॥
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बड़ी हो तो चुपचाप हमारे पाँकेट मे पैसे रखने वाली,
छोटी हो तो चुपचाप पैसे निकाल लेने वाली………॥
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छोटी हो या बड़ी,
छोटी- छोटी बातों पे लड़ने वाली,एक बहन होनी चाहिये…….॥
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बड़ी हो तो ,गलती पे हमारे कान खींचने वाली,
छोटी हो तो अपनी गलती पर,साँरी भईया कहने
वाली…
खुद से ज्यादा हमे प्यार करने वाली एक बहन होनी चाहिये….