ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है ना,
पढ़ना कभी ध्यान से, चीखते कमाल के है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ये जो खामोश से अल्फ़ाज़ लिखे है ना,
पढ़ना कभी ध्यान से, चीखते कमाल के है…
मुहब्बत सा कोई अहसास दस्तक हम पे देता है
किवाड़ों से हमीं बंद हैं, हमीं आलस के मारे हैं….
इश्क था इसलिए सिर्फ तुझ से किया….!!!
फ़रेब होता तो सबसे किया होता…!!!
तुम्हारी याद ऐसे महफूज़ है मेरे दिल मे,
.
जैसे किसी गरीब ने रकम रक्खी हो तिजोरी में.!!
ज़िन्दगी में तन्हा हुँ तो क्या हुआ,
जनाजे में सारा शहर होगा देख लेना…
काश की कहीं इश्क़ के भी पकोड़े होते
हम भी शिद्दत की चटनी के चटोरे होते|
अभी रूप का एक सागर हो तुम..
कमल जितने चाहोगी खिल जायेंगे|
एक बार देख था उसने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए बस!
इतनी सी हक़ीकत है,बाकी सब कहानियाँ है..!!
इन सूखे हुए लबों पर कई अनकही बारिशें हैं..
तुम छू लेना इन्हें और बादलों में रिहा कर देना..
हम ज़माने से इंतक़ाम तो ले
इक हँसी दरमियान है प्यारे