मुझे क़बूल नहीं इश्क़ दूसरा हरगिज़,
मेरे बदन पर पुराना लिबास रहने दो…..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझे क़बूल नहीं इश्क़ दूसरा हरगिज़,
मेरे बदन पर पुराना लिबास रहने दो…..!!
रूह तक नीलाम हो जाती है इश्क के बाज़ार में,
इतना आसान नहीं होता किसी को अपना बना लेना…!!
जो कहते थे मुझे डर है, कहीं मैं खो न दूँ तुम्हे,
सामना होने पर मैंने उन्हें चुपचाप गुजरते देखा है।
टूटकर शाख से मिट्टी में कहीं बिखर जाता है,
रो तो लेता हूं मगर दर्द और भी बढ जाता है|
हमारी वफा से तुमको शिकायत ही भले सही,
तुम्हारा इश्क ना मयस्सर मुसीबत ही हमें सही,,
तुम्हारी दिल्लगी को हम मोहब्बत क्यों समझ बैठे,
तिजारती यार जा तेरी अदावत भी हमें सही
जवानी में जिंदगी के रिवाज बदल जाते हैं,
उम्र बदलने के साथ अंदाज बदल जाते हैं,,
खुशनुमा आलम हो और हुस्न हो अगर साथ,
तो अच्छे अच्छों के हुजूर मिजाज बदल जाते हैं|
चाहत है किसी चाहत को पाने की,
चाहत है चाहत को आज़माने की,
वो चाहे हमें चाहे ना चाहे,
पर चाहत है उनकी चाहत में मिट जाने की.. !!!
हिचकीया दीलाकर ये कैसी उलझन बढा रहे हो
आंखे बंद है फिर भी नजर आ रहे हो
बस इतना बता दो हमें याद कर रहे हो
या अपनी याद दिला रहे हो
मेरी यादो मे तुम हो, या मुझ मे ही तुम हो,
मेरे खयालो मे तुम हो, या मेरा खयाल ही तुम हो,
दिल मेरा धडक के पूछे, बार बार एक ही बात,
मेरी जान मे तुम हो, या मेरी जान ही तुम हो!!!
बड़ा गजब किरदार है मोहब्बत का,
अधूरी हो सकती है मगर ख़तम नहीं !!