सिर्फ और सिर्फ तेरे लिए..
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आज मैं चाँद भी ले आया हूँ तेरे लिए…!
Tag: गरूर
इमारतें बनती हैं रोज़
इमारतें बनती हैं रोज़,
हर रोज़…
मजदूरों के दफ्तरों में…
इतवार नहीं होते.
मैं भले ही वो काम नहीं करता
मैं भले ही वो काम नहीं करता जिससे खुदा मिले…
पर वो काम जरूर करता हूँ…जिससे दुआ मिले.’;..
जब ख्वाबों के रास्ते
जब ख्वाबों के रास्ते ज़रूरतों की ओर मुड़ जाते हैं
तब असल ज़िन्दगी के मायने समझ में आते हैं
ताल्लुकातों की हिफ़ाज़त
ताल्लुकातों की हिफ़ाज़त के लिये बुरी आदतों का होना भी ज़रूरी है,
ऐब न हों तो लोग महफ़िलों में नहीं बैठाते………..??
उस से कह दो वो अब नहीं
उस से कह दो वो अब नहीं आए
मैं अकेला बड़े मज़े में हूं
जिसकी तलवार की छनक से अकबर
जिसकी तलवार की छनक से
अकबर का दिल घबराता था
वो अजर अमर वो शूरवीर वो महाराणा कहला
ता था
फीका पड़ता था तेज सूरज का ,
जब माथा ऊचा करता था ,
थी तुझमे कोई बात राणा , अकबर भी तुझसे ड
रता था
” मैं ” पसंद तो बहुत हूँ सबको
” मैं ” पसंद तो बहुत हूँ सबको,..पर……
जब उनको मेरी ज़रुरत होती हैं तब..!!
दो लफ्ज उनकी तारीफ मे
दो लफ्ज उनकी तारीफ मे क्या बोल दिए
मौसम ने भी आज अपना मिजाज ही बदल लिया
मेरे लहजे में जी हुजूर ना था
मेरे लहजे में जी हुजूर ना था
इसके अलावा मेरा कोई कुसूर ना था
अगर पलभर को भी में बे-जमीर हो जाता
यकीन मानिये कब का वजीर हो जाता” !!!