वज़ीरों से सिफारिश की तमन्ना हम नही रखते,,
हमे मालूम है ज़र्रे को तारा कौन करता है।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वज़ीरों से सिफारिश की तमन्ना हम नही रखते,,
हमे मालूम है ज़र्रे को तारा कौन करता है।
अपने साथ मेरी नींद भी ले गए,
फिर ये साँसों पर मेहरबानी क्यों…
तुम मत करो रातों को जागने की कोशिश
बेवफा हो तुमसे नहीं होगा !!
हमारी प्यास का अंदाज भी अलग है कभी समंदर को ठुकरा देते है तो कभी आंसू तक पी जाते है…!!
मोहब्बत रूह में उतरा हुआ मौसम है …..
ताल्लुक कम करने से मोहब्बत कम नहीं होती….
इंसान ना कुछ हंसकर सीखता है
ना कुछ रोकर सीखता है
जब भी कुछ अलग सीखता है तो,
या तो किसी का होकर सीखता है…
या फिर किसी को खोकर सीखता है…!!!
भूल जाने का मशवरा और, जिँदगी बनाने की सलाह
ये कुछ तोहफे मिले थे, उस-से आखिरी मुलाकात मेँ|
अपने ही दर्द साथ खड़े है इक कोने में
चार आंसू हमें भी बहा लेने दो
नाराज क्यों होते हो चले जाएँगे तुम्हारी महफिल से
मुझे जरा मेरे दिल के टुकडे़ तो उठा लेने दो……….
अल्फ़ाज़ के कुछ तो कंकर फ़ेंको,
यहाँ झील सी गहरी ख़ामोशी है।
एक मैं हूँ कि समझा नहीं खुद को अब तक…
एक दुनिया है कि ना जाने मुझे क्या-क्या समझ लेती है…!!