कुछ दिन से मैंने दर्द की बात नही की …
दुनिया समझ रही हैं बहुत खुश हूं मैं …
Tag: कविता
दर्द की एक बाढ़
दर्द की एक बाढ़ यूँ हमको बहा कर ले गई…
या तो हम चीख़े नहीं या वक़्त ही बहरा रहा…
हम अपने उसूलों से
हम अपने उसूलों से, डगमगाये तो थे ज़रूर;
पर आप भी मुस्करा कर, पलटे तो थे हुज़ूर!
वो एक रात जला……
वो एक रात जला……. तो उसे चिराग कह दिया !!!
हम बरसो से जल रहे है ! कोई तो खिताब दो .!!!
छत कहाँ थी
छत कहाँ थी नशीब में, फुटपाथ को जागीर समझ बैठे।
गीले चावल में शक्कर क्या गिरी ,बच्चे खीर समाज बैठे।
बहुत ही खूबसूरत
बहुत ही खूबसूरत होती है एक तरफ़ा मोहब्बत
ना ही कोई शिकायत होती है और
ना ही कोई बेवफ़ा कहलाता है|
क्यों एक दुआ में
क्यों एक दुआ में अटक के रह गया है दिल,
क्यों तेरे सिवा कुछ और माँगा नही जाता|
तुम मिली तो ऐसा लगा
तुम मिली तो ऐसा लगा कि पूरी दुनिया को पा लिया…
जब तुम जुदा हुईं मुझसे,
तो ऐसा लगा किसी ने मेरा
दिल ही निकाल लिया|
छा जाती है
छा जाती है खामोशी अगर गुनाह अपने हों..!!
बात दूसरे की हो तो शोर बहुत होता है….!!
सौ बार टूटा दिल
सौ बार टूटा दिल मेरा, सौ बार बिखरी आरजू
जिस्म से उड़ चला है परिंदा न जाने कहां जाएगा