सोचा तो नहीं था

ऐसा कोई जिंदगी से वादा तो नहीं था
तेरे बिना जीने का इरादा तो नहीं

था
तेरे लिये रातो में चाँदनी उगाई थी
क्यारियों में खुशबू की रोशनी लगाई थी
जाने कहाँ टूटी

है डोर मेरे ख्वाब की
ख्वाब से जागेंगे सोचा तो नहीँ था
शामियाने शामो के रोज ही सजाएं

थे
कितनी उम्मीदों के मेहमा बुलाएं थे
आके दरवाज़े से लोट गए हो ऐसे
यूँ भी कोई आयेगा

सोचा तो नहीं था…..

उम्र की ढलान में

उम्र की ढलान में “इश्क़” होना कोई अचरज की बात नही
ं गेंद जब पुरानी हो जाती है तब “रिवर्स स्विंग” लेती है…।