हर शख्स की अपनी कुछ मजबूरियाँ हैं,
कुछ समझ पाते हैं और कुछ रूठ जाते हैं।
Tag: Zindagi Shayri
उसे भी सरबुलंदी पर
उसे भी सरबुलंदी पर हमेशा नाज़ रहता है,
हमें भी आसमानों को ज़मीं करने की आदत है !
मुझसे मिलने को
मुझसे मिलने को आप आये हैं ?
बैठिये, मैं बुला के लाता हूँ |
मैं अपनी ताकते
मैं अपनी ताकते इन्साफ खो चुका वर्ना
तुम्हारे हाथ मै मेरा फैसला नही होता..
बहुत शौक है
बहुत शौक है न तुझे ‘बहस’ का
आ बैठ… ‘बता मुहब्बत क्या है’..!!
मैंने कब कहा
मैंने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी..
हमें बिकना ही होता तो यूँ तन्हा ना होते !!
अब सजा दे ही चुके
अब सजा दे ही चुके हो तो हाल ना पूछना मैं अगर बेगुनाह निकला तो तुम्हें अफसोस बहुत होगा..
तुम्हे गुरुर ना हो जाये
तुम्हे गुरुर ना हो जाये हमे बर्बाद करने का
इसीलिए सोचा हमने महफ़िल में मुस्कुराने का..
उस ने हँस कर
उस ने हँस कर हाथ छुड़ाया है अपना…
आज जुदा हो जाने में आसानी है ..
मैंने कब कहा
मैंने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी..
हमें बिकना ही होता तो यूँ तन्हा ना होते !!