आशिक था एक मेरे अंदर, कुछ साल पहले गुज़र गया..!!
अब कोई शायर सा है, अजीब अजीब सी बातें करता है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आशिक था एक मेरे अंदर, कुछ साल पहले गुज़र गया..!!
अब कोई शायर सा है, अजीब अजीब सी बातें करता है
उदास कर देती है, हर रोज ये शाम मुझे .. यूँ लगता है, जैसे कोई भूल रहा हो, मुझे आहिस्ता आहिस्ता..!!
सोचा ना था वो शख्स भी इतना जल्दी
साथ छोङ जाएगा…!!!
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जो मुझे उदास देखकर कहता था…!!!
“मैँ हू ना”…..
तरसते थे जो मिलने को हमसे कभी!
आज वो क्यों मेरे साए से कतराते हैं!
हम भी वही हैं दिल भी वही है!
न जाने क्यों लोग बदल जाते हैं!
तकदीर के लिखे पर कभी शिकवा न कर,
तू अभी इतना समझदार नहीं हुआ है की रब के इरादे समझ सके..
जरा ठहर ऐ दिल, सुन….
लौट चलते हैं वापिस….
अकेले सफर में गुफ्तगू किससे होगी अब…!!
पलकों की हद को तोड़कर दामन पे आ गिरा,
एक अश्क मेरे सब्र की तौहीन कर गया !!!!
बिकती है ना खुशी कही,ना कही गम बिकता है…
लोग गलतफहमी में है की,शायद कही मरहम बिकता है..
आज पास हूँ तो क़दर नहीं है तुमको,
यक़ीन करो टूट जाओगे तुम मेरे चले जाने से !!
कितना अच्छा लगता है,
ये सुनना
जब कोई
व्यस्त होने पर भी ये बोले,
आप से ज़्यादा ज़रूरी नहीँ है