तुम्हारे पास कोई यकीन का ईक्का हो तो बतलाना,
हमारे भरोसे के तो सारे पत्ते जोकर निकले…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुम्हारे पास कोई यकीन का ईक्का हो तो बतलाना,
हमारे भरोसे के तो सारे पत्ते जोकर निकले…!!
सोचा था इस कदर उनको भूल जाएंगे,
देख कर भी उन्हें अनदेखा कर जायेंगे,
जब सामने आया उनका चेहरा, तो सोचा,
बस इस बार देख लें, अगली बार भूल जाएंगे…..
लफ्ज़ वही हैं , माने बदल गये हैं
किरदार वही ,अफ़साने बदल गये हैं
उलझी ज़िन्दगी को सुलझाते सुलझाते
ज़िन्दगी जीने के बहाने बदल गये हैं..
कांच था मैं किस तरह हीरे से करता दोस्ती..
क्या पता कब काट देगा प्यार से छू कर मुझे…
मेरे दिल की कभी धड़कन को समझो या ना समझो तुम..
मैं लिखता हूँ मोहब्बत पे
तो इकलौती वजह हो तुम..तुम|
मैं अक्सर गुज़रता हूँ उन तंग गलियों से,
जिसके मुहाने पर एक सांवली लड़की
जीवन के आख़िरी पलों में मेरा नाम पुकारती थी।
मैं अक्सर होकर भी नहीं होता हूँ
मैं अक्सर जीकर भी नहीं जीता,,
मैं उसे अब कभी याद नही करता|
उड़ने में कोई बुराई नहीं है आप भी उड़े
लेकिन उतना ही जहा से ज़मीन साफ दिखाई देती हो…
लोग पढ़ लेते है आँखों से मेरे दिल की बात…!!
अब मुझसे तेरी मोहब्बत की हिफाजत नहीं होती……!!
उनकी रहबरी के काबिल नहीं हूँ मैं
वरना यूं साथ क्यूँ छोड़ जाते वो…..
तुमने उम्मीद दी
मैंने उम्मीद की
हम दोनों यूं ही
नदी के दो किनारों की तरह
चलते रहे
जीवन तक……