मत दिखाओ हमें, तुम ये मुहब्बत का बहीखाता ,
हिसाब-ए-इश्क़ रखना, हम दीवानों को नहीं आता ….
Tag: WhatsApp
कितनी है कातिल ज़िंदगी
कितनी है कातिल ज़िंदगी की ये आरज़ू,
मर जाते हैं किसी पे लोग जीने के लिये।
अक्ल बारीक हुई
अक्ल बारीक हुई जाती है,
रूह तारीक हुई जाती है।
फासले इस कदर
फासले इस कदर आज है रिश्तों में,
जैसे कोई क़र्ज़ चुका रहा हो किश्तों में
एक ही चौखट पे
एक ही चौखट पे सर झुके तो सुकून मिलता है
भटक जाते है वो लोग जिनके हजारों खुदा होते है।
हो सके तो
हो सके तो दिलों में रहना सीखो,
गुरुर में तो हर कोई रहता है…
न रुकी वक्त की गर्दिश
न रुकी वक्त की गर्दिश और न जमाना बदला,
पेड़ सुखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला !!
चलो अच्छा हुआ
चलो अच्छा हुआ कि अब धुंध पड़ने लगी ..!!
दूर तक तकती थी निगाहें उसको …
अब अपना मुझको
अब अपना मुझको कौन लगे
शब्दों से प्यारा मौन लगे…..
कभी किसी के
कभी किसी के जज्बातों का मजाक ना बनाना.
ना जाने कौन सा दर्द लेकर कोई जी रहा होगा..