देखा आज मैने
रास्ते पर बिखरा हुआ
सुख जो दौलत का था
दुख जो औरत का था
रास्ते पर खड़ी हुई
सोचती ये रह गई
किस कदर गिर गया
इंसान जो कुदरत का था
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
देखा आज मैने
रास्ते पर बिखरा हुआ
सुख जो दौलत का था
दुख जो औरत का था
रास्ते पर खड़ी हुई
सोचती ये रह गई
किस कदर गिर गया
इंसान जो कुदरत का था
?” रिश्ता “?
कई लोगों से होता है , मगर …
कोई प्यार से निभाता है तो …
कोई नफरत से निभाता है ..
?” दर्द “?
सभी इंसानो मे है
मगर …
कोई दिखाता है तो …
कोई छुपाता है …..
?” हमसफर “?
सभी है मगर …
कोई साथ देता है तो …
कोई छोड देता है …..
कभी मिल सको तो पंछीयो की
तरह बेवजह मिलना ए दोस्त,
वजह से मिलने वाले तो न जाने
हर रोज कितने मिलते है ।
?” प्यार “?
सभी करते है मगर …
कोई दिल से करता है तो …
कोई दिमाग सें करता है
रुके तो चाँद जैसी है, चले तो हवाओं जैसी है,
वो माँ ही है, जो धूप में भी छाँव जैसी है….?
मेरे हाथ में गंगाजल,तेरे हाथ में शराब है????
मैं हो गया अमावास तू माहताब है?
तेरी नजर उठी तो अदा-ए-हुस्न हो गयी??
उठी जो मेरी नजर तो नजर ख़राब है??
चलते रहेंगे क़ाफ़िले मेरे बग़ैर भी यहाँ.
एक तारा टूट जाने से, फ़लक़ सूना नहीं होता…
उदास शामें, तनहा रातें, दिल की हालत अजीब है…
…
सुनों… लौट आओ मेरे हमदम, दिसंबर करीब है…!!!