हकिकत” से बहोत दूर है,
“ख्वाहिश” मेरी..!!!
फिर भी एक “ख्वाहिश” है
कि एक ख्वाब “हकिकत” हो
जाये..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हकिकत” से बहोत दूर है,
“ख्वाहिश” मेरी..!!!
फिर भी एक “ख्वाहिश” है
कि एक ख्वाब “हकिकत” हो
जाये..!
बदल जाओ भले तुम पर ये ज़हन में रखना..कही
पछतावा ना बन जाए हम से बेरुखी इतनी.
जिंदगी सुंदर है पर मुझे.
जीना नहीं आता,
हर चीज में नशा है पर मुझे.
पीना नहीं आता,
सब मेरे बिना जी सकते हैं,
र्सिफ मुझे दोस्तों के बिना….
जीना नहीं आता….!
सब सो गए थे अपना दर्द अपनो को सुना कर
मेरा भी कोई अपना होता तो मुझे भी नींद आ जाती…….
सहा ना जाये के उसका लहजा सख्त ऐसा था,
ये और बात थी, वो लब नाजुक फूलों जैसा था.
निगाहों से भी चोट लगती है…
जनाब….
जब कोई देख कर भी अन्देखा कर देता है…!!
वो फिर से लौट आये थे मेरी जिंदगी में’
अपने मतलब के लिये और हम सोचते रहे की हमारी दुआ में दम था.. .
बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को, ताकि धुल जाए स्याही,
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी-कभी।
माना की तेरी नजर मे मै कुछ भी नही,
मगर मेरी कदर तू उनसे पूछ जिन्हे पलटकर नही देखा मैने सिर्फ तेरे
लिए…!!!
एक ही शहर से इतने जनाज़े.,
हसीनाओ पे कोई पाबंदी लगाओ