इश्क का तू हरफ।।जिसके चारों तरफ।।मेरी बाहों के घेरे का बने हासिया
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तुमको देखा तो
तुमको देखा तो फिर उसको ना देखा
हमने….!!
चाँद कहता रहा कई बार कि मैं चाँद हूं, मैं
चाँद हूँ….!!
जिसकी बातों में दम नहीं होता
चीखता है वही सदा
जिसकी बातों में दम नहीं होता
क़त्ल अब खेल बन गया
क़त्ल अब खेल बन गया क्यूँ की
सर सज़ा में कलम नहीं होता
ग़म नहीं होता
ज़िन्दगी में जो ग़म नहीं होता
नाम रब का अहम् नहीं होता
चौंच से नोचा है
परों को चौंच से नोचा है अक्सर
क़फ़स के नाम कुर्बानी बहुत है
सहारा भी बहोत
सहारा भी बहोत गजब का दिया उसने
खुद सो गई मेरी कब्र पे सर रखकर
रास्ते कहाँ ख़त्म होते हैं
रास्ते कहाँ ख़त्म होते हैं
ज़िन्दगी के सफ़र में,मंज़िल तो वहीँ है जहां ख्वाहिशे थम जाए !
इंतजार की घङिया
इक मैँ जो,
इंतजार
की घङिया ;गिनता रहा……!!
.
इक तुम जो,
आँखे चुराकर निकल
गए……!!
तेरी यादें
तेरी यादें…..कांच के
टुकड़े…
और मेरा दिल ….नंगे पाँव..!!