देखा है मैंने बड़ा इतराये फिरते थे वो अपने हुस्न-ए-
रुखसार पर …
बड़े मायूस हो गए है यारो….
जबसे देखी है अपनी तस्वीर कार्ड-ए-आधार पर
Tag: WhatsApp
मै इश्क का
मै इश्क का मुफ़्ती तो नहीं..
मगर ये मेरा फतवा है।।।।
जो राह में छोड़ जाए…
वो काफ़िर से भी बदतर है।।।।
सरहाने आहिस्ता बोलो
सरहाने आहिस्ता बोलो
अभी टुक रोते-रोते सो गया है
हर बार सम्हाल लूँगा
हर बार सम्हाल लूँगा गिरो तुम चाहो जितनी बार,
बस इल्तजा एक ही है कि मेरी नज़रों से ना गिरना…!
रिश्तों का सवाल है
जहां तक रिश्तों का सवाल है…..
लोगो का आधा वक़्त….
“अन्जान लोगों को इम्प्रेस करने और अपनों को इग्नोर करने में चला जाता हैं…!!
मोहब्बत क्यूँ करेगी
सियासत भी तवायफ़ है मोहब्बत क्यूँ करेगी वो
भला किस वक्त घुंघरू इसके मक्कारी नहीं करते
अपना ही चेहरा
बीवी, बच्चे, सड़कें, दफ्तर और तनख्वाह के चक्कर में
मैं घर से अपना ही चेहरा पढ़कर जाना भूल गया
तुम जड़ पकड़ते
कभी तुम जड़ पकड़ते हो कभी शाखों को गिनते हो
हवा से पूछ लो न ये शजर कितना पुराना है
यहीं रही है
यहीं रही है यहीं रहेगी ये शानो शौकत ज़मीन दौलत
फकीर हो या नवाब सबको, कफन वही ढाई गज मिला है
किसी शहर के
किसी शहर के सगे नहीं हैं ये चहचहाते हुए परिंदे
तभी तलक ये करें बसेरा दरख़्त जब तक हरा भरा है