क्या लिखू जिंदगी के बारे में..वो लोग ही बिछड़ गए जो जिंदगी हुवा करते थे
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पढ़ने वालों की
पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में,
नहीं तो गिरता हुआ एक-एक आँसू पूरी किताब है…!!
वो जो दो पल थे
वो जो दो पल थे,
तेरी और मेरी मुस्कान के बीच।
बस वहीँ कहीं,
इश्क़ ने जगह बना ली
हमारे महफिल में
हमारे महफिल में लोग बिन बुलाये आते है
क्यू की यहाँ स्वागत में फूल नहीं दिल बिछाये जाते है
इनकार ही कर दे
तू इनकार ही कर दे मगर कुछ गुफ्तगुं तो कर ..
तेरा खामोश सा रहना मुझे तकलीफ देता है…
ज़ख्म कैसे भी हों
ज़ख्म कैसे भी हों भर जाते हैं रफ़्ता रफ़्ता
ज़िंदगी ठोकरें खा- खा के, संभलती रहती है…
जब रात को नींद
जब रात को नींद ना आये,
और
दिल की धड़कन भी बढ़ जाये..
.
तब..
.
दूसरों की नींद खराब करो,
शायद..
उनकी दूआ से आपको नींद आ जाये..
बात वक्त वक्त की
है बात वक्त वक्त की चलने की शर्त है
साया कभी तो कद के बराबर भी आएगा
मुझको धोका हो गया
अपनों को अपना ही समझा ग़ैर समझा ग़ैर को
गौर से देखा तो देखा मुझको धोका हो गया
गलत बातों को
गलत बातों को ठहराने सही हर बार संसद में
कोई जूते लगाता है कोई चप्पल चलाता है