क्यूँ मौत से इतने ख़ौफ़ज़दा हैं हम लोग
हमदर्द है वो आती है रिहा करने के लिए
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अरसा बीत गया
काफी अरसा बीत गया, जाने अब वो कैसी होगी..
वक्त की सारी कड़वी बातें चुप चाप ही सहती होगी…
अब भी भीगी बारिश में वो बिन छतरी के चलती होगी…
मुझसे बिछड़े अरसा गुजरा, अब वो किससे लङती होगी…
अच्छा था जो साथ ही रेहती, बाद में इतना तो सोची होगी…
अपने दिल की सारी बातें, खुद से खुद ही करती होगी.
समझ नही सकते
जो हमें समझ नही सकते!!!!
उन्हें हक़ है…. हमें बुरा समझें!!!
उसके आने से
उसके आने से जो आ जाती है मुंह पर रौनक,
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।
सो जायेगी कल
सो जायेगी कल लिपटकर,
तिरंगे के साथ अलमारी में…..
देशभक्ति है साहब,
तारीखों पर जागती है….
नाराज़ हुए बैठी है
वो पगली हमसे इस कदर नाराज़ हुए बैठी है
समझ नही आता की
उसे मनाए या फिर
चल ए दोस्त
मौसम बहुत सर्द है❕
चल ए दोस्त …
गलतफहमियो को..
आग लगाते है‼
कुछ सवाल रहने दे
ये ना हो कि मै कहीं तुझको लाजवाब करदूं ..
तू कुछ सवाल रहने दे, मै कुछ जवाब रहने दू..!
दूरियाँ जब बढ़ी
दूरियाँ जब बढ़ी तो गलतफहमियां भी बढ़ गयी;
फिर तुमने वो भी सुना जो मैंने कहा ही नही।
बस मे होता
बस मे होता गर हाल ए दिल बयाँ करना
तो कसम से हम आईने को भी रुला देते..!