अब मज़ा आने लगा है तीरों को देखकर ।
दुआ है तेरे तरकश में तीर कभी कम न हों ।
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मैं दाने डालता हूँ
मैं दाने डालता हूँ ख्यालों के……
लफ्ज़ कबूतर से चले आते हैं….
पेड़ भूडा ही सही
पेड़ भूडा ही सही घर मे लगा रहने दो, फल ना सही छाँव तो देगा
मैं एक ताज़ा कहानी
मैं एक ताज़ा कहानी लिख रहा हूँ,मगर यादें पुरानी लिख रहा हूँ …
एक पहचानें कदमों की
एक पहचानें कदमों की आहट फिर से लौट रही है,
उलझन में हूँ जिंदगी मुस्कराती हुई क्यूँ रूबरू हो रही है…
उसे जाने को जल्दी थी
उसे जाने को जल्दी थी सो मैं आँखों ही आँखों में,
जहां तक छोड़ सकता था वहाँ तक छोड़ आया हूँ…
ज़हर लगते हो
ज़हर लगते हो तुम मुझे जी करता है खा कर मर जाऊँ!
यादों की हवा
यादों की हवा चल रही है
शायद आँसुओं की बरसात होगी!
सन्नाटा छा गया
सन्नाटा छा गया बँटवारे के किस्से में,
जब माँ ने पूँछा- मैं हूँ किसके हिस्से में
मैं पेड़ हूं
मैं पेड़ हूं हर रोज़ गिरते हैं पत्ते मेरे ,फिर भी हवाओं से,,
बदलते नहीं रिश्ते मेरे