कानों में डाल कर, मोतियों के फूल;
सोने का भाव उसने गिराया, अभी- अभी!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कानों में डाल कर, मोतियों के फूल;
सोने का भाव उसने गिराया, अभी- अभी!
कौन कहता है दुआओ के लिए हाथो की जरुरत होती है कभी अपनी माँ की आँखों में झांक करके देखिये हुज़ूर
वो अनजान चला है, जन्नत को पाऩे के खातिर,
बेखबर को इत्तला कर दो कि माँ-बाप घर पर ही है..
देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना,…..
नफरत बता रही है
तूने मोहब्बत गज़ब की थी.
सूखे पत्तो की तरह बिखरा हुआ था मै,,
किसी ने बड़े प्यार से समेटा, और फिर आग लगा दी..!
तुमने कहा भुल जाओ मुझे… हम पुछते है कोन हो तुम…
सुनो..
ना किया करो इतनी मोहब्बत हमसे..
कि मुझे खुद की फ़िक्र करने की आदत पड़ जाये..
हार जाउँगा मुकदमा उस अदालत में, ये मुझे यकीन था,जहाँ वक्त बन बैठा जज और नसीब मेरा वकील था….!!!
आसमानों से उतरने का इरादा हो तो सुन
शाख़ पर एक परिंदे की जगह खाली है
उनकी महफ़िल में हमेशा से यही देखा रिवाज़….
आँख से बीमार करते हैं, तबस्सुम से इलाज़।।