इश्क़ तो बेपनाह हुआ…कसम से..
गलती बस ये हुई कि……..हुआ तुमसे
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खामोश रहने दो
खामोश रहने दो लफ़्ज़ों को, आँखों को बयाँ करने दो हकीकत,
अश्क जब निकलेंगे झील के, मुक़द्दर से जल जायेंगे अफसाने..
मैं मुसाफ़िर हूँ
मैं मुसाफ़िर हूँ ख़तायें भी हुई होंगी मुझसे,
तुम तराज़ू में मग़र मेरे पाँव के छाले रखना..
गलती उनकी नहीं
गलती उनकी नहीं कसूरवार मेरी गरीबी थी दोस्तो
हम अपनी औकात भूलकर बड़े लोगों से दिल लगा बैठे !!
चिँगारियोँ को हवा दे
चिँगारियोँ को हवा दे कर हम दामन नहीँ जलाते,
बुलंद इरादे हमारे पूरे शहर मेँ आग लगाते हैँ..
तुम लाख छुपाओ …..
तुम लाख छुपाओ ……मुझसे जो रिश्ता है…. तुम्हारा…..
सयाने कहते हैं नजर अंदाज करना भी मुहब्बत है…..
जिसे शिद्दत से
जिसे शिद्दत से चाहो वो मुद्दत से मिलता है,
बस मुद्दतों से ही नहीं मिला कोई शिद्दत से चाहने वाला!
आपको मिलेगा भी नही..
सज़दा कीजिये या मांगिये दुआये..
जो आपका है ही नही वो आपको मिलेगा भी नही..
आजाद कर देंगे
आजाद कर देंगे तुम्हे अपनी चाहत की कैद से,
मगर, वो शख्स तो लाओ जो हमसे ज्यादा कदर करे तुम्हारी..
उस तीर से
उस तीर से क्या शिकवा, जो सीने में चुभ गया,
लोग इधर हंसते हंसते, नज़रों से वार करते हैं।