ज़िंदगी अमल के लिए भी नसीब हो ,
ये ज़िंदगी तो नेक इरादों में कट गई |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ज़िंदगी अमल के लिए भी नसीब हो ,
ये ज़िंदगी तो नेक इरादों में कट गई |
मैंने माँगी थी उजाले की फ़क़त इक किरन
तुम से ये किसने कहा आग लगा दी जाए |
तू है मेरे अंदर मुझे संभाले हुए ….
के बे-करार सा रह कर भी बर-करार हूँ में ….
ना करवटें थी और ना बैचेनीयाँ थी,
क्या गजब की नींद थी मोहब्बत से पहले|
नहीं जानता क्या है रिश्ता तुझसे मेरा
“मन्नतों के हर धागे में एक गाँठ तेरे नाम की
बाँधता हूँ मैं….
गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम्हें .
यूं ही मुसाफिरों की तरह यादें
वहीं खडी रह जाती हैं रूके रास्तों की तरह….
इश्क़ सुनते थे जिसे हम वो यही है शायद,
ख़ुद-बख़ुद दिल में है इक शख़्स समाया जाता…
रिश्ते बनावट के पसंद नहीं मुझे..
दोस्त हों या दुश्मन सब…. असली हैं मेरे..
मुल्क़ ने माँगी थी
उजाले की एक किरन..
निज़ाम ने हुक़्म दिया
चलो आग लगा दी जाय..!!
कहाँ मिलता है कोई समझने वाला
जो भी मिलता है, समझाकर चला जाता है…