करूँ क्या मै

करूँ क्या मै फरियाद अपनी ज़ुबो से ,
गिरे टूटकर बिजलियो आसमां से ,
मै अश्क़ों मे सारे जहॉ को बहा दूँ ,
मगर मुझको रोने की आदत नही हैं|

किसी को घर से

किसी को घर से निकलते ही मिल गयी मंज़िल,
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा ।

कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िन्दगी जैसे,
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा ।