कब आ रहे हो मुलाकात के लिये,
हमने चाँद रोका है, एक रात के लिये…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कब आ रहे हो मुलाकात के लिये,
हमने चाँद रोका है, एक रात के लिये…!!
कभी हूँ हर खुशी की राह में दीवार काँटों की,
कभी हर दर्द के मारे की आँखों की नमी हूँ मैं….
ज़ख्म ख़ुद सारी कहानी कह रहे हैं ज़ुल्म की,
क्या करें फिर भी अदालत को गवाही चाहिए…
जिंदगी से यही गिला है मुझे ,
वो बहुत देर से मिला है मुझे ..
कितने चालाक है कुछ मेरे अपने भी …
उन्होंने तोहफे में घड़ी तो दी …
मगर कभी वक़्त नही दिया…!!!
उम्मीद वफ़ा की,और तमन्ना जिस्म की
इन पढ़े-लिखों की मोहब्बत से तो, मैं गवांर ही अच्छा हूं|
दो गज़ ज़मीन नसीब हो गयी यही बहुत है,
सिकंदरो को अब जहान सारा मुबारक हो|
पहले मन पर काम करो
और फिर तन पर काम करो
इसके बाद जो वक़्त बचे
उसमें धन पर काम करो|
मुद्दत से तमन्नाएं सजी बैठी हैं दिल में
इस घर में बड़े लोगों का रिश्ता नही आता |
टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देखकर
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए|