किस्मत की किताब क्या खूब लिखी रब ने,
बस वो ही पन्ना नही मिला जिसमे तेरा जिक्र था।।
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कई बार मन करता है
कई बार मन करता है कि रूठ जाऊँ तुम से,
फिर इस ख्याल से रुक जाता हूँ कि तुम्हें तो मनाना भी नहीं आता।।
पत्थर मुझे कहता है
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
में मोम हूँ उसने कभी छू कर नहीं देखा।।
किसी को चाहने की तमन्ना
किसी को चाहने की तमन्ना हमें ले डूबी,
सिमटने की आरज़ू में बिखरते चले गए।।
फुरसत में ही
फुरसत में ही याद कर लिया करो हमें,
दो पल मांगते है पूरी जिंदगी तो नही।।
लिखते है सदा
लिखते है सदा उन्हीं के लिए,
जिन्होंने हमे कभी पढ़ा ही नहीँ।।
कभी फूर्सत मिली
कभी फूर्सत मिली तो तेरी ज़ूल्फ भी सूलझाउंगा
आज ऊलझा हूवा हूं हालात को सूलझाने मे
मेरी हर बात का
मेरी हर बात का जवाब था उसके पास,
एक गहरी खामोशी।।
कितनी आसानी से
कितनी आसानी से तुम्हारा जाना हुआ,
रोका भी नही रुके भी नही पूछा भी नही सुना भी नही।।
दिल में आया था
दिल में आया था कोई,
जल्दी में था सो चला गया।।