जिँदगी की राहो पर कभी यूँ
भी होता है….!
इंसान खुद रो पड़ता है
अकेले मै,…
किसी को हौँसला देनै के बाद…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जिँदगी की राहो पर कभी यूँ
भी होता है….!
इंसान खुद रो पड़ता है
अकेले मै,…
किसी को हौँसला देनै के बाद…!!
मेरी
आँखों का तेरी यादों से कोई ताल्लुक़ तो है,
तसवुर में जब भी आते
हो…चेहरा खिल सा जाता है…
एक हसीन पल की जरूरत है हमें,
बीते हुए कल की जरूरत है हमें,
सारा जहाँ रूठ गया हमसे..
जो कभी ना रूठे ऐसे दोस्त की जरूरत है हमे
अगर
मेरी शायरियो से बुरा लगे,तो बता देना दोस्तो,
मै दर्द बाटने के लिए
लिखता हूँ , दर्द देने के लिए नहीं॥
बैठे थे अपनी मस्ती में के अचानक तड़प उठे,
आ कर तुम्हारी याद ने अच्छा नहीं किया….
कल रात मैने अपने दिल से भी रिश्ता तोड दिया…!
.
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पागल तेरे को भूल जाने की सलाह दे रहा था…
मिठी बाते ना कर ऐ नादान परिंदे,
इसांन सुन लेगा तो पिंजरा ले आएगा..
जैसा दोगे वैसा ही पाओगे..
फ़िर चाहे इज्ज़त हो या धोखा..!!
उस मोड़ से शुरू करें
चलो फिर से जिंदगी
हर शय हो जहाँ नई सी
और हम हो अज़नबी
बचपन —
बड़ा होकर पायलट बनूँगा, डॉक्टर
बनूँगा या इंजीनियर बनूँगा….
जवानी —
“अरे भाई वो चपरासी वाला फॉर्म
निकला की नही अभी तक